लो प्रोफाइल, जातिगत रणनीति...नितिन नवीन को बीजेपी ने क्यों बनाया राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष? 5 पॉइंट्स में समझिए पूरी बात
Nitin Nabin News: बीजेपी ने एक लो-प्रोफाइल बिहार नेता को इतनी बड़ी जिम्मेदारी देकर सबको चौंका दिया है। आखिर क्यों 45 साल के नितिन नवीन को बनाया गया राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष? मोदी-शाह की पसंद, जातिगत समीकरण, बिहार से बंगाल तक की चुनावी रणनीति और संगठन का बड़ा प्लान- 5 पॉइंट्स में समझिए बीजेपी के इस मास्टरस्ट्रोक के पीछे की पूरी कहानी.

Nitin Nabin News: भारतीय जनता पार्टी जो अपने फैसलों से चौंकाने के लिए जानी जाती है, उसने एक बार फिर पूरे देश को चौंका दिया है. बीजेपी ने एक बार फिर देश और बिहार की सियासी गलियारों को गर्म कर दिया है. बीते कल जैसे ही बिहार सरकार में मंत्री नितिन नवीन को बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया तभी से उनकी हर जगह चर्चाएं हो रही है. हर जगह की चर्चाओं में एक बात कॉमन है कि आखिर 45 साल के इस नेता को बीजेपी ने इतनी बड़ी जिम्मेदारी कैसे सौंप दी? तो आइए 5 पॉइंट्स में समझते हैं इसके पीछे की वजह.
इन वजहों से नितिन नवीन को बनाया गया बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष...
1. लो प्रोफाइल नेता, जनता के बीच पकड़
नितिन नवीन को बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के पीछे ने अपना मैसेज साफ किया है कि, बीजेपी का कोई भी कार्यकर्ता किसी भी पोजिशन में जा सकता है. वहीं आज तक नितिन नवीन को लेकर बड़ी कंट्रोवर्सी सामने नहीं आई है, जिनमें उनका नाम उछला हुआ हो. नितिन काफी लो प्रोफाइल नेता है और पार्टी के लिए हमेशा तत्पर दिखे हैं. बीजेपी ने नितिन को जब भी जो जिम्मेदारियां दी है, उन्होंने निभाया है चाहे वह बिहार चुनाव हो या छत्तीसगढ़ चुनाव. नितिन नवीन भले ही लो प्रोफाइल रहें, लेकिन इसके बावजूद उनकी हर पार्टी में अच्छे संबंध है.
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2. मोदी-शाह के करीबी, पार्टी के आदेशों को मानने वाले नेता
नितिन नवीन के कार्यकारी अध्यक्ष बनने के पीछे की एक वजह यह भी है कि वे बिना किसी विरोध के पार्टी के फैसलों का मान लेते हैं और उसी हिसाब से आगे काम करते है. बिहार सरकार में वे तीसरी बार मंत्री बने है और वहां भी वे तालमेल बनाकर चलते है ताकि किसी को कुछ बुरा नहीं लगे. इन्हीं वजहों से वे मोदी और अमित शाह के करीबी नेताओं में आते है. वहीं अमित शाह हमेशा संगठन की मजबूती को लेकर बात करते हैं, ऐसे में नितिन नवीन के साथ मिलकर वे बेहतर कार्य कर पाएंगे.
3. बिहार की राजनीति में अपनी मजबूत पैठ बनाना
नितिन नवीन बिहार की पटना के बांकीपुर विधानसभा सीट से लगातार 5वीं बार जीत के विधायक बने हैं. वहीं इस बार बिहार चुनाव में भाजपा राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई है और पार्टी चाहती है कि उनकी यह छवि ही बनी रही. पार्टी आगे चलकर खुद के दम पर राज्य में सरकार बनाना चाहती है और ऐसे में बिहार के ही विधायक को पार्टी में इतना बड़ा दर्जा देना अहम और रणनीतिक फैसला माना जा रहा है. पार्टी इससे अपना मैसेज भी क्लियर करना चाहती है कि वे विकास की ओर अग्रसर है और उन्हें जैसे और जब भी मौका मिलेगा वो आगे इसे निरंतर रूप से करेंगे ही.
4. जातिगत राजनीति को साधने की रणनीति
बीजेपी शुरू से ही जातिगत समीकरणों से राजनीति साधने में माहिर है. जहां जैसी जरूरत होती है, पार्टी वहां वैसा ही काम करती है. अब जेपी नड्डा जो कि ब्राह्मण समाज से आते है, उनकी जगह कायस्थ समाज के नितिन नवीन को इस पद पर बिठाकर पार्टी ने इस वर्ग को वोटर को साधने की कोशिश की है. वहीं OBC-फॉरवर्ड कॉम्बिनेशन की बात भी सामने आई है क्योंकि मोदी जी OBC समाज से आते हैं तो उनके हाथ में सत्ता दे दी गई है और फॉरवर्ड समाज से आने वाले नितिन नवीन को अब पार्टी की कमान दे दी गई है.
5. बंगाल और पूर्वोत्तर को साधने की नई रणनीति
नितिन नवीन ने बिहार चुनाव में काफी अहम रोल निभाया और उन्हें जो जिम्मेदारियां दी गई उसे बखूबी निभाया है. इससे पहले पार्टी ने उन्हें छत्तीसगढ़ चुनाव का कमान दिया था और उन्होंने वहां भी किला फतह किया था. आने वाले समय में बंगाल में चुनाव होने वाले है, तो ऐसे में पार्टी ने उन्हें फ्रंट पर लाकर एक नया दांव चला है. पार्टी का मानना है कि छत्तीसगढ़ की तरह ही वे नितिन के सहारे बंगाल और पूर्वोत्तर के इलाकों को साध सकती है.
जिम्मेदारी मिलते ही दिया बड़ा बयान
बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद ही नितिन नवीन ने एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि, मेरा मानना है कि केंद्रीय नेतृत्व के भरोसे से ही आज मैं यहां पर हूं. मेरी प्राथमिकता पार्टी संगठन को मजबूत करना है. बंगाल चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि, हम सभी बैठकर इन बातों पर फैसला लेंगे और बंगाल का चुनाव भी जीतेंगे.
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