गेट खुला, मां बाहर आई और बच्चे को देख रोते हुए लिपट गई... पानीपत के रीयल बजरंगी भाईजान ने कराया मां-बेटे का मिलन
पानीपत में लावारिस मिले 10 साल के गुलफराज को दो महीने की मेहनत, भरोसे और इंसानियत के दम पर चाइल्ड वेलफेयर टीम ने उसकी मां से मिलाया. पूजा मलिक और वार्डन सोमदत्त रियल लाइफ बजरंगी भाईजान बनकर एक बिछड़े परिवार को फिर से जोड़ने में कामयाब रहे.

कभी-कभी जिंदगी बिना कैमरे, बिना स्क्रिप्ट और बिना रीटेक के भी किसी फिल्मों जैसी लगने लगती है. हरियाणा के पानीपत से सामने आई यह कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिसे सुनकर बजरंगी भाईजान फिल्म अपने आप याद आ जाती है. फर्क बस इतना है कि यह कहानी मुन्नी और बजरंगी भाईजान की नहीं, बल्कि 10 साल के गुलफराज और चाइल्ड वेलफेयर ऑफिसर पूजा मलिक, वार्डन सोमदत्त की है.
क्या है पूरा मामला
करीब दो महीने पहले पानीपत के सेक्टर-29 थाना इलाके में पुलिस को एक छोटा सा बच्चा लावारिस हालत में भटकता हुआ मिला था. डरा-सहमा, चुपचाप, तुतलाकर बोलने वाला यह बच्चा न अपना नाम बता पा रहा था और न घर का पता. उसकी आंखों में सिर्फ डर था और चेहरे पर अपनों से बिछड़ने की उदासी. पुलिस बच्चे को बाल श्रमिक पुनर्वास केंद्र, शिवनगर ले आई. यहीं से शुरू हुई उस कहानी की पहली कड़ी जिसका अंत एक मां की गोद में होना था.

सवाल पूछने की जगह की दोस्ती
पहले तो चाइल्ड वेलफेयर ऑफिसर पूजा मलिक ने बच्चे की रोजाना काउंसलिंग करवा कर उसका नाम पता जानने की कोशिश की, लेकिन बच्चा चुप ही रहा. तब चाइल्ड वेलफेयर ऑफिसर पूजा मलिक और वार्डन सोमदत्त ने तरीका बदला. उन्होंने बच्चे से सवाल पूछने की जगह उनसे दोस्ती करने का तरीका अपनाया. पहले तो उन्होंने बच्चे के साथ खेलना शुरू किया, साथ बैठकर खाना, घूमने ले जाना, फिल्में दिखाना, धीरे-धीरे बच्चा खुलने लगा. ये करते हुए दो महीने बीत गए.
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दरअसल चाइल्ड वेलफेयर सर्विस के पास के दो महीने रहने के बाद बच्चे ने पहली बार बताया कि उसका नाम आरिफ है. कुछ देर बाद उसने एक पता भी बताया तेल गली, पहाड़गंज, दिल्ली.
इतने दिनों की मेहनत के बाद मिले इन शब्दों ने सबकी आंखों में उम्मीद जगा दी. पूजा मलिक ने तुरंत इंटरनेट पर पता खोजना शुरू किया. कई कोशिशों के बाद दिल्ली के पहाड़गंज इलाके में एक पता मिलता-जुलता नजर आया.
दिल्ली की गलियों में चार घंटे का इम्तिहान
इसके बाद आरिफ को लेकर पूजा मलिक, वार्डन सोमदत्त और हरियाणा पुलिस की मिसिंग सेल के इंचार्ज हरविंदर सैनी ट्रेन से दिल्ली पहुंचे. पहाड़गंज पहुंचते ही बच्चा आगे-आगे चलने लगा. कभी वह बड़ी मस्जिद के पास घर बताता, कभी छोटी मस्जिद के पास तो कभी दरगाह के पास. चार घंटे तक तंग गलियों में भटकते रहे.

पैर थक चुके थे लेकिन उम्मीद बरकरार थी
टीम थक चुकी थी, हालांकि हौसले बरकरार थे. आखिरकार, करीब चार घंटे बाद बच्चा अचानक एक घर के सामने रुका. धीरे-धीरे सीढ़ियां चढ़ने लगा. पीछे-पीछे पूरी टीम सांस रोके खड़ी थी. जैसे ही दरवाजा खुला, बच्चा सीधे एक महिला के गले जा लिपटा. अगले ही पल महिला भी उसे पकड़कर फूट-फूट कर रोने लगी. दो महीने से खोया बेटा सामने था. वह पल किसी फिल्म से कम नहीं था.
मां की गोद में लौटा गुलफराज
परिवारवालों ने बताया कि बच्चे का असली नाम गुलफराज उर्फ नेताजी है. वह दिल्ली से ट्रेन में बैठकर कहीं गुम हो गया था और भटकते-भटकते पानीपत पहुंच गया. दो महीने से मां-बाप बेटे को ढूंढ रहे थे. अचानक उसे सामने पाकर मां खुद को संभाल नहीं पाई.
रीयल लाइफ बजरंगी भाईजान
जिस खुशी से गुलफराज अपनी मां से लिपटा था उतनी ही खुशी पूजा मलिक और वार्डन सोमदत्त के चेहरे पर भी झलक रही थी. पानीपत में इन दोनों ने रीयल लाइफ बजरंगी भाईजान बनकर न सिर्फ एक बच्चे को उसके घर पहुंचाया, बल्कि एक मां की सूनी गोद और एक परिवार की टूटी उम्मीदों को फिर से जोड़ दिया.










